
मुर्गी बाड़े की जैव विविधता योजना के लिए मृत पक्षियों का निपटान महत्वपूर्ण है। रोजमर्रा के मृत पक्षियों को संभालने के लिए खाद बनाना एक सकुशल ,जैव सुरक्षित और निपुण तरीका है। हालाँकि, इसे सही ढंग से किया जाना चाहिए वरना समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

क्सटेंशन प्रोफेसर
मिसिसिपी स्टेट यूनिवर्सिटी एक्सटेंशन सेवा, पोल्ट्री विज्ञान विभाग
मिसिसिपी राज्य, एमएस
नियंत्रित परिस्थितियों के अंतर्गत कार्बनिक पदार्थ की खाद बनाना एक जैविक विघटन और स्थायी तरीका है । यह एक एरोबिक प्रक्रिया है, जिसका अर्थ है कि इसे ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। बैक्टीरिया और फंजाई जैसे सूक्ष्मजीव जैविक कूड़े का प्रयोग करते हैं – इस मामले में, मुर्गी बाड़े के मृत पक्षियों को – एक ऊर्जा स्रोत के रूप में और कूड़े को खाद में बदल दिया जाता है, जो मिटटी की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए मूलयवान है।
बाड़े में मरने वाले पक्षियों की खाद बनाने के कई फायदे हैं । यह भूजल प्रदूषण को रोकने में मदद करते है, यह अतीत में दफन या निपटान गड्ढे के उपयोग से होता था। यह शवों को जलाये जाने से जुडी ईंधन की उच्च लागत और वायु प्रदूषण से बचाता है, और यह पक्षियों के शवों को खेत से बाहर ले जाने से उतपन संभावित बीमारी को फैलने से रोकता है । शवों से बनाई गयी खाद काफी किफायती , पर्यावरणीय और जैव सुरक्षित होती है।
बड़े घर, अधिक शव
पोल्ट्री उद्योग में बदलाव के कारण खाद का महत्व अधिक हो गया है। पिछले 20 से 30 वर्षों में, पोल्ट्री फार्मों की संख्या में लगातार कमी आई है, लेकिन जो फार्म हैं उन में काफी घर हैं और वे घर बहुत बड़े हैं।

1980 के दशक की शुरु में, जब मैं अर्कांसस में एक ब्रॉयलर में काम करने वाला टेकनीशियन था, तो सिर्फ चार घरों वाला एक फार्म भी बहुत बड़ा माना जाता था। उस समय, ब्रॉयलर हाउस का 40 फीट x 400 फीट (लगभग 12 मीटर x 120 मीटर) आकार हुआ करता था। आज, मैं ऐसे कई उत्पादकों के साथ काम करता हूं जिनके फार्म में 6 से 12 ब्रायलर हाउस हैं। बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं के कारण, बड़े बाड़े को बेहतर माना जाता है।50 फीट x 500 फीट (50 मीटर से 152 मीटर) के आकर वाले घर आम है, और मैं 66 फीट x 600 फीट के आकर वाले घरों (18 मीटर x 183 मीटर )में भी काम कर चुका हूं।
खेत के बढ़ने और घरों के आकार का बड़े होने का अर्थ है कि एक छोटे भौगोलिक क्षेत्र में अधिक मृत पक्षियों को संभालना। ज्यादातर मामलों में, इतनी अधिक शव नहीं होते, लेकिन यह पूरे समूह मे जारी रहता है । शवों का निपटान करना प्रबंधन का दैनिक कार्य होना चाहिए।
विधि का अनुगमन करें
खाद बनाने की विधि को सफल बनाने के लिए और सही तरीके से काम करते रहने के लिए सम्पूर्ण कार्य करने वाले ,सभी सूक्ष्मजीवों को सही मात्रा में सही सामग्री मिलनी चाहिए। कोई भी तत्व यदि कम या ज़्यादा हो जाए तो ,अपर्याप्त गर्मी उत्तपन होती है ,जिससे खाद बनाने वाला वातावरण गड़बड़ा जाता है ।
सच तो यह है कि, अच्छी खाद बनाना एक केक बनाने के समान है। आपको विधि के अनुसार कार्य होगा। खाद बनाने की प्रक्रिया कई कारकों से प्रभावित होती है,विशेष रूप से तापमान, ऑक्सीजन और नमी ।
खाद को सही ढंग से बनाने में नमी के स्तर का बहुत महत्व है ।खाद बनाने के लिए 50% से 60% सीमा के भीतर नमी सबसे अच्छी मानी जाती है। यदि नमी 40% से कम ह तो खाद बनाने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। यदि नमी 70% से अधिक होती है, तो खाद ऑक्सीजन रहित हो जाती है – ऑक्सीजन की कमी होती है – और खाद बनाने की प्रतिक्रिया भी और धीरे हो जाती है। जिससे मक्खियां और गंध समस्या बन जाती है। इससे तापमान में भी गिरावट आएगी, और अगर यह 130°F (54°C) से कम हो जाता है, तो रोग कीटाणु सक्रिय रह सकते हैं जिससे जैव-सुरक्षा कार्यक्रम को खतरा होता है।
तापमान पर नज़र रखें
यदि आप कचरे के डब्बे या गली- कूचे वाले कंपोस्ट का उपयोग कर रहे हैं, तो कम्पोस्ट थर्मामीटर का होना सहायक होता है, नमी जांचने के लिए इसके अंत में 3 फुट का प्रोब होता है ,(मिट्टी की नमी मीटर के समान) जिसे आप खाद में सटा कर तापमान देख सकते हैं । सप्ताह में एक-दो बार तापमान जाँचने से आपको पता चल जाता है कि खाद की स्तिथि क्या है?
यद्यपि वे नमी को जांचने के लिए मीटर बनाते हैं ,लेकिन मैं किसी को नहीं जानता जिसने खाद बनाते वक्त कभी इस मीटर का प्रयोग किया हो।ज्यादातर उत्पादकों को तापमान देख कर महसूस हो जाता है कि उनकी खाद में कितनी नमी है ।आमतौर पर यदि तापमान सही होता है, तो नमी का स्तर सही होता है, और यदि तापमान बहुत कम होता है, तो नमी का स्तर बहुत अधिक होता है।
खाद बनाने के बारे में मुझे जो बात पता चली है, वह यह है कि अगर खाद बनाते समय कोई गलती हो भी जाए तो उसे सुधारने की गुंजाईश रहती है यानि अगर कोई गड़बड़ हो भी जाए तो उसे आप ठीक कर सकते हैं। यदि खाद बहुत गीली हो जाती है ,तो आप \ छिलके , बुरादा , कूड़े आदि जैसी अतिरिक्त ठोस सामग्री डाल सकते हैं,और यदि यह बहुत सूखी हो जाती है, तो केवल 50% से 60% तक नमी प्राप्त करने के लिए पानी डाल सकते हैं। आपका खाद का ढेर फिर से प्रयोग में लाने लायक हो जाएगा ।कहा जाता है कि ,खाद को बहुत अधिक सूखा बनाना संभव है, लेकिन मेरे अनुभव में, इसकी संभावना कम है। मैंने जिस किसी को भी देखा है , उन्हें मुश्किलें आई हैं और सामग्री को ज़्यादा गीला करने की वजह से वे कामयाब नहीं हुए है । बड़ी सीधी सी बात है – बहुत गीला इसलिए हो जाता है क्योंकि इसकी सही ढंग से देख-भाल नहीं होती । मैं ऐसा इसलिए कह सकता हूं क्योंकि मैंने पिछले कुछ वर्षों में मृत जानवरों की बहुत खाद बनाई है ,और यह हमेशा मेरी उम्मीद के अनुसार नहीं बनती ।
परतों में खाद
उदाहरण के लिए, आप शवों से भरी बाल्टी को अपने कंपोस्ट बिन में डालकर उसे छुपाने के लिए सामग्री से ढक देतें हैं तो उसे खाद बनाना नहीं कहते हैं ।पक्षियों को सतहों पर रखने की आवश्यकता होती है, और प्रत्येक सतह को भारी सामग्री के साथ कवर करने की आवश्यकता होती है, क्योंकि सड़ने के बाद पक्षी अधिक नमी छोड़ते हैं और यह सामग्री वहां मौजूद सारी नमी को सोखने के लिए पर्याप्त होती है।

इसके अलावा, यदि आप एक बिन या गली-कूचे वाले कंपोस्ट का उपयोग कर रहे हैं, तो बिन भरते.समय पक्षी को कम्पोस्टर की दीवार से कम से कम 6 इंच की दूरी पर रखें। कम्पोस्ट की दीवारों के आस पास का तापमान अच्छी कम्पोस्ट बनाने के लायक गर्म नहीं होता।
थोक सामग्री को समायोजित करें
ठीक से सतह बनाने के लिए, आपको सामग्री के ढेर को समूहों की बढ़ती उम्र के अनुसार निरंतर ठीक से रखना होगा। 2 दिन पुराने चूज़े में इतना पानी नहीं होता कि उनके लिए उतनी मोटी सतह बनाई जाए जितनी बाजार से लाए गए 63 दिन पुराने और 9 पोंड या उससे अधिक वजन वाले तैयार ब्रॉयलर के लिए होता है । पक्षियों के बड़े होने के साथ- साथ यदि आप अपने ढेर की परत की मोटाई नहीं बढ़ा रहे हैं,तो कम्पोस्ट सामग्री बहुत अधिक गीली होगी, भले ही वह एक बिन या बर्तन प्रणाली हो।
यदि आप जानते हैं कि क्या करना है, तो खाद बनाना मुश्किल नहीं है। अगर उचित तरीके से इसे बनाया जाये तो तापमान आसानी से 130°F से 140°F (54°C से 60°C) तक पहुंच जाएगा, जो रोग पैदा करने वाले मौजूद जीवों को मार देगा।.यह ज़रूरी है और बताता है कि क्यों हर खेत की जैव सुरक्षा कार्यक्रम के लिए एक उचित रूप से कार्य करने वाला कम्पोस्टर महत्वपूर्ण है।
उत्पादकों के पास खाद बनाने के लिए सारी आवश्यक सामग्री उनके फार्म में रहती है। लेकिन फिर भी आपको विधि के अनुसार चलना होता है ! यदि आपके केक की विधि में 3 कप चीनी और एक चम्मच नमक है और आप 3 कप नमक और एक चम्मच चीनी डाल देते हैं , तो आपके लिए समस्या खड़ी हो जाएगी।
ठीक ऐसा ही खाद के साथ भी है। यदि आपको 50% नमी की आवश्यकता है और उसकी जगह 85% नमी हो जाती है और कम्पोस्ट बिन से आपकी ठोस स्लैब पर काला कचरा टपकता है, तो आपके लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है । यदि ऐसा होता है, तो मैं आपको गारंटी दे सकता हूं कि आपके कम्पोस्ट पर गंध और मक्खियां इकट्ठी हो जाएँगी और किसी न किसी के फोन करने या शिकायत करने पर आपके राज्य के पर्यावरण गुणवत्ता विभाग का अधिकारी आ सकता है ।नमी की उचित मात्रा रखने से मक्खी, गंध और पड़ोसी से संबंध बिगड़ने जैसी समस्यायों का मामला हल हो सकता है ।
उत्पादकों को शिक्षित करें
2016 के उत्तरार्ध और 2017 की शुरुआत में, हमारे एक्सटेंशन कार्यक्रम ने मिसिसिपी बोर्ड ऑफ एनिमल हेल्थ कर्मियों के साथ मिलकर प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया। हमने मिसिसिपी में सभी छह ब्रॉयलर इंटीग्रेटर्स के लिए कार्यक्रम की शुरुआत की क्योंकि हम कुछ खराब प्रबंधित खादों का सामना करना पड़ा जो समस्याओं के लिए अग्रणी थे।
यह एक ऐसी चीज है जिस पर हम सभी को ध्यान देना चाहिए। यह मेरी राय है कि हममें से जो कुछ समय के लिए चिकन व्यवसाय के आसपास रहे हैं, वे मान सकते हैं कि उनसे अधिक उत्पादकों को जानकारी है । मैं आपको बता सकता हूं कि ठेके पर काम करने वाले बहुत सारे उत्पादक हैं, जिन्होंने फार्म खरीदे और चिकन हाउस बनाए, भले ही उन्होंने पहले कभी मुर्गा नहीं पाला हो और निश्चित रूप से कभी खाद नहीं बनाई ।
इसलिए यह आवश्यक है की उत्पादकों को हम बिलियन डॉलर दें उन्हें अपने कार्य खुद करने के लिए छोड़ दें , लेकिन उससे पहले हममे से जिन – जिन को अनुभव है, वे उन्हें सही तरह से शवों की खाद बनाना सिखाएं । इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हममें से जिसे भी अनुभव हो उत्पादकों को शवों से खाद बनाने के सिद्धांत समझाये , कुछ उत्पादकों को ज्ञान है , लेकिन दूसरों को संघर्ष करना पड़ेगा और सहायता भी लेनी पड़ेगी । सौभाग्य से, वहाँ पोल्ट्री कंपनी सेवा टक्निशयनों और पशु चिकित्सकों, राज्य एजेंसियां की जो इन सब के पोषण पर निगरानी रखती हैं की एक्सटेंशन सर्विस पर्सनेल तथा दोस्तों एवं परिवार जो मुर्गा पालते हैं की मदद उपलब्ध है ।
जैव सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, इन मददगारों की सहायता लेनी चाहिए और उनकी सहायता से उत्पादकों को खाद बनाना सीखना चाहिए। उत्पादकों को खाद बनाने की प्रक्रिया को सीखने में मदद करें ताकि हर पोल्ट्री कार्य सफल एवं जैवसुरक्षित बनाएं।
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