
ब्लैक सोल्जर फ्लाई लार्वा भोजन कि थोड़ी सी मात्रा ही ब्रायलर मुर्गियों की प्रतिरक्षा प्रणाली को और मज़बूत कर सकती है और टाइफाइड रोग के दौरान उनकी जीवन दर में भारी वृद्धि कर सकती है। ।
ब्लैक सोल्जर फ्लाई लार्वा (बीएसएफएल)पशुओं की खुराक में प्रोटीन युक्त सोया ओर मछली के आहार कि जगह प्रयोग में लाए जाने के लिए बहुत लोकप्रिय हो रहा है। पशुओं के प्रदर्शन पर बिना कोई असर किए ,ब्रायलर चिकेन की खुराक में पर्याप्त मात्रा में सोया की जगह प्रयोग में लाया जा सकता है। बीएसएफएल का ब्रॉयलर चिकन के पालन पर भी व्यापक प्रभाव है, जो व्यापारिक खेती की सेटिंग्स में काफी महत्वपूर्ण हो सकता है।
कीटों: का एक दिलचस्प पोषण प्रोफ़ाइल है, लेकिन इनका ब्रयलर चिकन के पालन पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है, जो वाणिज्यिक खेती की सेटिंग्स में काफी महत्वपूर्ण हो सकता है।
प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का अध्ययन
ली. एट .अल (2018) द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन में बीएसएफएल को भोजन में मिलाने के बाद उसके प्रभाव को ब्रायलर मुर्गियों की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को साल्मोनेला एंटरिका सेरोवर गैलिनारम (एस. गैलिनारम) के प्रति देखा गया । ऐस.गेलिनारम, एक ग्राम नेगेटिव जीवाणु है, जिसकी वजह से मुर्गियों में टाइफॉयड होता है और जो अक्सर मुर्गियों में एनोरेक्सिया, दस्त, डिहाइड्रेशन, एनीमिया, हेपेटोस्प्लेनोमेगाली (बड़े हुए लिवर एवं स्प्लीन) आँतों से खून बहने , और पक्षियों में उच्च मृत्यु दर का कारण बनता है (शिवप्रसाद,2000; ली एट अल;2007)। कुल मिलाकर देखा जाए तो फ़ाउल टाइफाइड एशियाई देशों जैसे कोरिया और भारत में पोल्ट्री उद्योग के लिए एक बहुत बड़ी समस्या का कारण बन गया है । (बारबोर एट अल, 2015)। (बारबोर एट अल, 2015)। आहार में थोड़ा सा ही बीएसएफएल मिलाने से मुर्गियों के प्रतिरक्षा प्रतिक्रियायों में वृद्धि देखी गई , यहां तक कि एस.गैलिनारम से ग्रासित मुर्गियों की मृत्यु दर में भी कमी आई और पैथोजन्स की निकासी में भी सुधार हुआ । इसके अलावा, उनका वजन भी बढ़ा ।हालांकि अधिकांश यूरोपीय देशों और उत्तरी अमेरिका में एस. गेलिनारम विलुप्त हो चुका है, इस अध्ययन के परिणाम से पता चलता है कि जब बीएसएफएल भोजन उनके आहार में शामिल होता है तो रोगनिरोधी गुणों और ब्रायलर चिकन में गैर-विशिष्ट प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को प्रोत्साहन मिलता है। यह बदले में, सामान्य रूप से पोल्ट्री उद्योगों की उत्पादकता पर लाभकारी प्रभाव डाल सकता है।
बीएसएफएल प्रतिरक्षा प्रणाली संकेतों को बढ़ाता है
प्रयोग के दौरान, ब्रायलर चिकन को आहार में पहले दिन से ही 1%, 2% या 3% बीएसएफएल (मास के अनुसार प्रतिशत )भोजन मिला कर दिया गया । 20 वें दिन , मुर्गियों की स्प्लीन को निकाला गया , और स्प्लीन की अलग -अलग कोशिकाओं की जांच टी लिम्फोसाइट उप-जनसंख्या CD3 + और CD4 + के अनुपात के लिए की गई । दोनों प्रकार की कोशिकाएं प्रतिरक्षा प्रणाली सक्रियण के लिए अत्यधिक प्रभावी संकेतक है (फेयर एट. अल. 2008; अब्दुकलीकोवा एट.अल. 2008) ।बिना बीएसएफएल भोजन लेने वाली मुर्गियों की तुलना में बीएसएफएल भोजन लेने वाली मुर्गियों में CD3 + और CD4 + कोशिकाओं की मात्रा काफी अधिक थी ।विशेष रूप से, CD3+ और CD4+ कोशिकाओं की बड़ी हुई मात्रा एक खुराक पर निर्भर है। 2% बीएसएफएल डालने से पी <0.05, और 3% डालने से, पी <0.01। इन परिणामों से पता चलता है कि खाया गया 2% और 3% बीएसएफएल भोजन ही ब्रायलर चिकन में प्रतिरक्षा कार्य में सहायता करता है। खुराक के अनुसार स्प्लीन ल्य्म्फोसाइट्स में लाजवाब वृद्धि हुई 2% बीएसएफएल समावेश के साथ, पी <0.05, और 3% समावेश के साथ, p <0.01। इन परिणामों का अर्थ है कि 2% और 3% बीएसएफएल भोजन का समावेश ब्रायलर चिकन में लिम्फोसाइटों के मिटोजेनिसिटी को बढ़ाता है।

उच्च लाइसोजाइम गतिविधि
इन परिणामों से यह पता चलता है कि , 2% और 3% बीएसएफएल वाले आहार को लेने वाले ब्रॉयलर चिकन के रक्त सीरम में लाइसोजाइम गतिविधि अधिक थी । 2% बीएसएफएल के साथ, पी <0.05, और 3% के साथ, पी <0.01लाइसोजाइम एक एंजाइम है जो बैक्टीरिया कोशिका की दीवारों को हानि पहुंचता है और मैक्रोफेज (श्वेत रक्त कोशिकाओं जो सूक्ष्मजीव और अन्य विदेशी पदार्थों को साफ करता है) जैसे ग्रैगोसाइट्स की बढ़ती प्रभावशीलता के साथ जुड़ा हुआ है, और ग्रैन्यूलोसाइट्स (एक प्रकार की सफेद कोशिकाएं भी हैं जो बैक्टीरिया, फुनगी और पैरासाइट्स के खिलाफ काम करती हैं) ।ये परिणाम बताते हैं कि फ़ीड में 2% और 3% बीएसएफएल भोजन शामिल करने से ब्रॉयलर चिकन में फागोसाइट्स का विनाशकारी प्रभाव बढ़ जाता है।
बीएसएफएल फ़ाउल टाइफाइड बीमारी को काफी कम देता है
बीएसएफएल भोजन समावेशन के इम्युनोमोड्यूलेशन प्रभावों को निर्धारित करने के लिए बाद के संक्रमण परख में, 18 दिनों के स्वस्थ ब्रायलर मुर्गियों को एस.गैलिनारम (5 × 1010 कफ के साथ मौखिक संक्रमण) के साथ ग्रसित किया गया , जो एक उच्च कृत्रिम एकाग्रता का प्रतिनिधित्व करता है ०र जो आमतौर पर प्राकृतिक मौखिक संक्रमण में नहीं होता है। कुल मिलाकर, जिन मुर्गियों को बीएसएफएल आहार नहीं दिया गया, वे संक्रमण के 3 दिन बाद मरने लगीं जबकि उनकी तुलना में बीएसएफएल आहार लेने वाली मुर्गियों की मृत्यु दर 2 से 3 दिन बाद में हुई ।इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि बीएसएफएल आहार रहित समूह की तुलना में बीएसएफएल आहार वाले समूह का जीवन दर 15वे दिन काफी अधिक था । इससे भी महत्वपूर्ण, बात यह है कि बीएसएफएल आहार रहित समूह की तुलना में बीएसएफएल आहार वाले समूह का जीवन दर 15वे दिन काफी अधिक था । साहित्य में, 100% तक की मृत्यु दर बताई गई है, और देखा गया है 2 से 3 सप्ताह पुराने जानवर को विशेष रूप से प्रभावित और अतिसंवेदनशील होते है। (सीएफएसपीएच, 2009; शिवप्रसाद, 2000; बैरो और नेटो, 2011) । इन परिणामों से पता चलता है कि जो ब्रायलर चिकन एस. गेलिनारम द्वारा कृत्रिम रूप से संक्रमित होते हैं ,उनके आहार में बीएसएफएल भोजन की अपेक्षाकृत कम मात्रा भी उत्तरजीविता की ओर ले जाती है ।
पैथोजन्स की सफाई
बीएसएफएल आहार की खुराक न लेने वाले समूह (खासकर लिवर,स्प्लीन और केकम में 2%(P<0.05) और 3% (p<0.01), बर्सा में 3% (p<0.01)) की तुलना में बीएसएफएल आहार की खुराक लेने वाले समूह में संक्रमण के 16 दिन बाद 2% से 3% बीएसएफएल आहार लेने वाले संक्रमित ब्रायलर चिकन में लिवर एवं स्प्लीन में एस. गलिनारम की मात्रा ,फैब्रिकियस के बर्सा (पक्षियों में एक अंग जो बी सेल के विकास के लिए आवश्यक है और जो प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा हैं) और कैकेम ( जहां से बड़ी आंत शुरु होती है ) काफी कम हो गयी थी। इन परिणामों से पता चलता है कि बीएसएफएल की मौजूदगी के कारण संक्रमण होने पर एस.गैलिनारियम की सफाई हो जाती है।
ब्रायलर चिकन का विकास
पिछले अध्ययनों से पता चलता है कि प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया एजेंट बेहतर स्वास्थ्य की वजह से ब्रायलर चिकन विकास में सुधार कर सकते हैं।(लैंडी एट अल। 2011; फल्लुई .एट. अल., 2015) ली. एट .अल .द्वारा वर्तमान अध्ययन में इसअनुमान की पुष्टि की गई थी। (2018)। बीएसएफएल आहार वाले ब्रायलर चिकन में ,नियंत्रित खुराक वाले ब्रायलर चिकन की तुलना में 2 दिन पहले 1.3 किलोग्राम वजन बढ़ा हुआ पाया गया । (30 दिनों के बजाय 32 दिनों)
निष्कर्ष
निष्कर्ष में, प्रतिरक्षा विज्ञानी मार्करों और संक्रमण परख के परिणाम का मतलब यह हो सकता है कि बीएसएफएल के कुछ तत्व गैर-विशिष्ट प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्तेजक एजेंटों के रूप में कार्य करते हैं और सामान्य रूप से बैक्टीरिया रोगजनकों के खिलाफ ब्रॉयलर चिकन में प्रतिरक्षा बढ़ाते हैं। यह तर्क दिया जा सकता है कि वाणिज्यिक कृषि क्षेत्र में बीमारियों के खिलाफ रोगनिरोधी गुणों वाले एजेंट के रूप में बीएसएफएल की छोटी मात्रा को चिकन फ़ीड में डाला जा सकता है। आखिरकार, प्रायोगिक संक्रमण परख में जीवित वृद्धि दर एक किफायती कारण है, और बीएसएफएल अन्य एजेंटों जैसे एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग से अधिक टिकाऊ है। हालांकि, बीएसएफएल के घटक जो कि प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं उनका प्रभाव अभी भी अज्ञात हैं और भविष्य के अध्ययन में उनकी जांच करने का लक्ष्य रखा जा सकता है ।
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