
यूनिवर्सिटी ऑफ अर्कांसस के प्रोफेसर डॉ.सुसान वाटकिंस और डॉ. जी.टी टेब्लेर के अनुसार पानी की खपत सबसे सरल और सबसे प्रभावी उपकरणों में से एक है जो एक मुर्गी पालने वाला अपने मुर्गियों के समूह के विकास पर नज़र रखने के लिए प्रयोग में ला सकता है । उन्होंने लगातार 12 से अधिक समूहों में पानी के सेवन की देख-रेख की और अपने परिणाम के बारे में यूनिवर्सिटी के एवियन एडवाइस को बताया ।
पक्षियों के समूह के प्रदर्शन पर नज़र रखने के लिए ब्रॉयलर की पानी की खपत को मापना एक महत्वपूर्ण साधन हो सकता है। पक्षी फ़ीड के रूप में लगभग 1.6 से 2.0 गुना तक पानी का सेवन करते हैं (एक पाउंड पर प्रति पाउंड के आधार पर); जैसे-जैसे समूह के पक्षियों की उम्र बढ़ती जाती है ,पानी एवं भोजन की खपत भी बढ़ती जाती है ।
पक्षी पालने वाले अक्सर पूछते हैं: “वास्तव में मेरे पक्षियों को प्रत्येक दिन कितना पीना चाहिए और अगर पानी की खपत प्रति दिन नहीं बढ़ती है तो क्या मुझे चिंतित होना चाहिए?”
एप्लाइड ब्रॉयलर रिसर्च फार्म (एबीआरऍफ़) (चार वाणिज्यिक ब्रायलर हाउस) में पिछले बारह झुंडों के लिए दैनिक जल उपयोग / खपत का विश्लेषण किया गया था। अगले दिन की पक्षी गणना से दैनिक मृत्यु दर को हटा दिया गया ताकि पानी की खपत वास्तविक पक्षी संख्या को दर्शाए और न की स्थानन संख्या को। यद्यपि एबीआरएफ झुंड हमेशा शीर्ष पर नहीं होते हैं, लेकिन प्रति झुंड औसत भार और फ़ीड में बदलाव हर झुण्ड में ठीक –ठाक होता है , इसलिए यह जल उपयोग एक यथार्थवादी अनुमान है।
जैसा कि तालिका 1 और चित्र 1 में दिखाया गया है, प्रतिदिन 1000 पक्षियों के प्रति एक से चार गैलन के बीच पानी की खपत में लगातार वृद्धि होती है, लेकिन ऐसे भी दिन थे जब खपत कम होती थी या पिछले दिन के समान रहती थी । सीज़न के अनुसार भी पानी की खपत का भी विश्लेषण किया गया था। यह देखा गया कि पानी की खपत सभी मौसमों में 18 दिनों के लिए समान थी, जब गर्म मौसम शुरू हुआ तो अधिक पानी की खपत के पैटर्न दिखने लगे । यह देखा गया है कि ठंडे मौसम की तुलना में गर्म मौसम के 21वें दिन से हररोज़ 1000 पक्षियों के प्रति 6 से 10 गैलन ज़्यादा पानी की खपत होती है। अधिकांश झुंडों के पक्षी जब निकला हुआ भोजन लेना शुरू कर देते है ,तब पानी की खपत कम होती है।

टेबल। एप्लाइड ब्रॉयलर रिसर्च फार्म में 12 झुंडों के लिए दैनिक जल उपयोग

(गैलन प्रति 1,000 पक्षी)
तालिका के विश्लेषण से हम इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि हमें जल का कुछ ऐसा उपचार करना चाहिए जो पक्षियों की फ़ीड को देर तक बने रखे । चूंकिएबीआरएफ के सेटलमेंट बहुत अच्छे हैं , यहां दिया गया डाटा यह बताता है कि वैसे तो पक्षियों में पानी की खपत की मात्रा निरंतर बढ़नी चाहिए लेकिन यदि किसी एक दिन पक्षियों के झुण्ड में पानी की खपत में मामूली गिरावट आती है या सपाट रेखा तक पहुंचती है ,तो उन्हें डरना नहीं चाहिए।यदि पानी कि खपत एक -दो दिन से अधिक समय तक वैसे ही रहती है तो उत्पादकों को इस का कारण ढूढ़ने का प्रयास करना चाहिए ।
पक्षियों की देखभाल करने के लिए एक उत्तम सूची दी गयी है:
- पानी कि पाइप की ऊंचाई, बहुत अधिक या बहुत कम
- जल प्रणाली में हवा भरना
- पक्षी की उम्र के लिए पानी की लाइन का दबाव सही नहीं
- पानी से भरे रुके हुए फीडर एवं ड्रिंकर्स
- प्रकाश की तीव्रता में एकदम से आया परिवर्तन
- दिनों का बार-बार छोटा- बड़ा होना
- फ़ीड में परिवर्तन या पुरानी फ़ीड
- जल उपचार / योजक
- पक्षियों का बीमार होना एक
- ड्रिंकर से बहुत सारे पक्षियों का पानी पीना (प्रवास के कारण या घर में रखे अधिक पक्षियों के कारण
पक्षियों को पालने वालों के लिए तथा उनकी प्रगति देखने के लिए पानी की खपत सबसे सरल और सबसे प्रभावी उपकरणों में से एक है । जिन उत्पादकों के पास समूहों के उचित पानी कि खपत के दिशानिर्देश न हों , वे एबीआरएफ से मिली जानकारी को दिशानिर्देश के रूप में प्रयोग कर सकते हैं,जिससे उन्हें पानी कि खपत के स्वयं के नमूने बनाने में प्रोत्साहन मिलता है।
पक्षियों के प्रदर्शन में आये बदलाव को पहचानने में पानी की खपत में आई असमानता एक उपयोगी उपकरण सिद्द हो सकता है।
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