
COMMERCIAL ASPECT OF BACK YARD POULTRY FARMING IN INDIA. Part-2
देशी मुर्गीओ को बेवसायिक दिरिस्टी से पालने हेतु , हमे सेमी इंटैन्सिव पढ़ती अपनानी होती है । आमतौर पर देशी मुर्गी का पालन यदि हम छोटे पैमाने पर करते है तो उसकेलिए शेड बनाने की जरूरत नहीं होती है ,लेकिन यदि बड़े पैमाने पर बेवसायीक दिरिस्टी से करना चाहते है तो हमे मुर्गी घर के अलावा अन्य वैज्ञानिक पढ़ती अपनानी होती है उचित प्रबंधन हेतु । यदि योजनाबद्ध तरीके से मुर्गीपालन किया जाए तो कम खर्च में अधिक आय की जा सकती है… बस तकनीकी चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है… मुर्गियों को तभी हानी होती है या वो मरती हैं जब उनके रख-रखाव में लापरवाही बरती जाए… मुर्गीपालन में हमें कुछ तकनीकी चीजों पर ध्यान देना चाहिए… फार्म बनाते समय यह ध्यान दें कि यह गांव या शहर से बाहर मेन रोड से दूर हो, पानी व बिजली की पर्याप्त व्यवस्था हो… फार्म हमेशा ऊंचाई वाले स्थान पर बनाएं ताकि आस-पास जल जमाव न हो… दो पोल्ट्री फार्म एक-दूसरे के करीब न हों और फार्म की लंबाई पूरब से पश्चिम हो… मध्य में ऊंचाई 12 फीट व साइड में 8 फीट हो… चौड़ाई अधिकतम 25 फीट हो तथा शेड का अंतर कम से कम 20 फीट होना चाहिए और फर्श पक्का होना चाहिए… इसके अलावा जैविक सुरक्षा के नियम का भी पालन होना चाहिए… एक शेड में हमेशा एक ही ब्रीड के चूजे रखने चाहिए… आल-इन-आल आउट पद्धति का पालन करें और शेड तथा बर्तनों की साफ-सफाई पर ध्यान दें… शेड में बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश वर्जित रखना चाहिए औऱ इसके साथ ही कुत्ता, चूहा, गिलहरी, देशी मुर्गी आदि के प्रवेश भी वर्जीत रखना चाहिए… मरे हुए चूजे, वैक्सीन के खाली बोतल को जलाकर नष्ट कर दें, समय-समय पर शेड के बाहर डिसइंफेक्टेंट का छिड़काव व टीकाकरण नियमों का पालन करें… समय पर सही दवा का प्रयोग करें और पीने के पानी का उचित मात्रा में प्रयोग क
जगह की आवश्यकता (डीप लिटर सिस्टम में) : जगह की आवश्यकता इस बात पर निर्भर करती है की फार्म कीतने मुर्गीयों के साथ खोला जा रहा है… 1 लेयर मुर्गी के लिए 2 वर्गफुट की जगह पर्याप्त है, पर हमें थोड़ी ज्यादा जगह लेनी चाहिए जिससे मुर्गियों को कोई तकलीफ या चोट न लगे और उन्हें अच्छी जगह मिले जिससे वो जल्द बड़े हो सकें… इसलिए 1 मुर्गी के लिए 2.5 वर्गफुट जगह अच्छी रहेगी… यदि हम 1000 मुर्गी पालन करते है तो हमें 2500 वर्गफुट का शेड बनाना है या 2000 मुर्गियों 4500 वर्गफुट इस तरह से हम जगह का चुनाव कर सकते हैं।
मुर्गियो के लिए संतुलित आहार: मुर्गीपालकों को चूजे से लेकर अंडा उत्पादन तक की अवस्था में विशेष ध्यान देना चाहिए यदि लापरवाही की गयी तो अंडा उत्पादकता प्रभावित होती है… मुर्गीपालन में 70 प्रतिशत खर्चा आहार प्रबंधन पर आता है लेकिन देशी मुर्गी को बेवसायीक हेतु पालने मे खर्च कम आता है क्योकि ईसको आहार मे केवल जरूरी पूरक आहार देते है। अतः इस पहलु पर भी विशेष ध्यान देना चाहि।
अंडा देने वाली मुर्गियो हेतु आहार प्रबंधन
स्टार्टर राशन यह एक से लेकर 8 सप्ताह तक दिया जाता है इसमें प्रोटीन की मात्रा 22-24 प्रतिशत, ऊर्जा 2700-2800 ME (Kcal/kg ) और कैल्सियम 1 प्रतिशत होनी चाहिये राशन बनाने हेतु निम्न्लिखित तत्वों को शामिल किया जा सकता है – मक्का = 50 किलो सोयाबीन मील = 16 किलो खली = 13 किलो मछली चुरा =10 किलो राइस पोलिस = 8 किलो खनिज मिश्रण = 2 किलों नमक = 1 किलो |
ग्रोवर (वर्धक) राशन यह 8 से लेकर 20 सप्ताह तक दिया जाता है इसमें प्रोटीन की मात्रा 18 -20 प्रतिशत, ऊर्जा 2600 – 2700 ME (Kcal/kg ) और कैल्सियम 1 प्रतिशत होनी चाहिये राशन बनाने हेतु निमनलिखित तत्वों को शामिल किया जा सकता है – मक्का = 45 किलो सोयाबीन मील = 15 किलो खली = 12 किलो मछली चुरा =7 किलो राइस पोलिस = 18 किलो खनिज मिश्रण = 2 किलों नमक = 1 किलो |
फिनिशर राशन यह 20 से लेकर आगे के सप्ताह तक दिया जाता है इसमें प्रोटीन के मात्रा 16 -18 प्रतिशत, ऊर्जा 2400 – 2600 ME (Kcal/kg ) और कैल्सियम 3 प्रतिशत होनी चाहिये राशन बनाने हेतु निम्न्लिखित तत्वों को शामिल किया जा सकता है – मक्का = 48 किलो सोयाबीन मील = 15 किलो खली = 14 किलो मछली चुरा =8 किलो राइस पोलिस = 11 किलो खनिज मिश्रण = 3 किलों नमक = 1 किलो |
उपरोक्त मुर्गी आहार मुर्गीओ के आव्श्क्ता अनुसार पूरक आहार केरूप मे अल्प मात्रा मे दी जानी चाहिए । अण्डा देने वाली देशी मुर्गियो में विभिन्न रोग आने की संभावना बनी रहती है जिसके अन्तर्गत निम्न्लिखित रोग के लिए टिककरण की जाती है
अवस्था | रोग | टीकाकरण |
पहला दिन | मैरिक्स | एचटीवी वैक्सीन(0.2ml)चमड़ी के नीचे |
दूसरे से पांचवे दिन | रानीखेत | फ 1 लसोटा टिका |
14 वें दिन | गम्बोरो रोग | आइबीडी नामक टीका एक बुंद आंख मे दें |
21 वें दिन चेचक | चेचक | चेचक टिका (0.2 ml) उस दवा चमड़ी के नीचे |
28 वें दिन | रानीखेत | फ 1 लसोटा टिका |
63 वें दिन (नौवां सप्ताह) | रानीखेत | बूस्टर टिका (0.5ml) उस पंख के नीचे |
84 वें दिन (बारहवां सप्ताह) | चेचक | चेचक टिका (0.2ml) उस दवा चमड़ी के |
अण्डों का रखरखाव : अण्डों को लम्बे समय तक सुरक्षित रखने की चुनौती होती है बड़े व्यवसायी कोल्ड स्टोरेज या रेफ्रीजिरेटर का इस्तेमाल कर सकते है छोटे व्यवसायी अण्डों को चुने के पानी में भिगोने के बाद छाव में सुखाकर काफी दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है अण्डों को कड़ी धुप से बचाना चाहिए… अण्डों को बाजार तक ले जाने हेतु कूट का बॉक्स या बांस की डोलची(एक प्रकार का बर्तन) का उपयोग करें इस तरह अण्डे को टुटने से बचाया जा सकता ह
सरकार भी आजकल मुर्गी पालन के व्यवसाय को बढ़ावा दे रही है , सरकार भी इसके लिए आसानी से लोन सुविधा भी प्रदान करती है अगर आप चाहे तो लोन लेकर ये व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। सरकार कई रिसर्च कंपनियों के साथ मिलकर कुछ अलग प्रकार की देसी मुर्गियों का निर्माण किया है जिनको पालकर अच्छा खासा लाभ कमाया जा सकता है। आप मुर्गी पालन के व्यवसाय को बहुत छोटे पैमाने से ही शुरू कर सकते हैं। इसमें कोई जरूरी नहीं है कि बहुत ज्यादा पैसा ही लगाकर बिजनेस शुरू कर सकते हैं इसको आप 5 से 10 मुर्गियों के साथ बिजनेस शुरू कर सकते हैं। और धीरे-धीरे मेहनत और लगन के साथ इस बिजनेस को एक बड़े पैमाने पर ले जा सकते हैं।
फार्म के लिए जगह का चयन : • जगह समतल हो और कुछ ऊंचाई पर हो, जिससे की बारिश का पानी फार्म में जमा ना हो सके।
• मुख्य सड़क से ज्यादा दूर ना हो जिससे लोगों का और गाड़ी का आना जाना सही रूप से हो सके।
• बिजली और पानी की सुविधा सही रूप से उपलब्ध हो।
• चूज़े, ब्रायलर दाना, दवाईयाँ, वैक्सीन आदि आसानी से उपलब्ध हो।
• ब्रायलर मुर्गी बेचने के लिए बाज़ार भी हो।
फार्म के लिए शेड का निर्माण:
• शेड हमेशा पूर्व-पश्चिम दिशा में होना चाहिए और शेड के जाली वाला साइड उत्तर-दक्षिण में होना चाहिए जिससे की हवा सही रूप से शेड के अन्दर से बह सके और धुप अन्दर ज्यादा ना लगे।
• शेड की चौड़ाई 30-35 फुट और लम्बाई ज़रुरत के अनुसार आप रख सकते हैं।
• शेड का फर्श पक्का होना चाहिए।
• शेड के दोनों ओर जाली वाले साइड में दीवार फर्श से मात्र 6 इंच ऊँची होनी चाहिए।
• शेड की छत को सीमेंट के एसबेस्टस या चादर से बनाना चाहिए और बिच-बिच में वेंटिलेशन के लिए जगह भी होना चाहिए। चादर को दोनों साइड 3 फीट कट लम्बा रखें जिससे की बारिश के बौछार से शेड ना भिज जाये।
• शेड की साइड की ऊँचाई फर्श से 8-10 फूट होना चाहिए व बीचो-बीच की ऊँचाई फर्श से 14-15 फूट होना चाहिए।
• शेड के अन्दर बिजली के बल्ब, मुर्गी दाना व पानी के बर्तन, पानी की टंकी की उचित व्यवस्था होना चाहिए।
• एक शेड को दुसरे शेड से थोडा दूर- दूर बनायें। आप चाहें तो एक ही लम्बे शेड को बराबर भाग में दीवार बना कर भी बाँट सकते हैं।
दाने और पानी के बर्तनों की जानकारी:
• प्रत्येक 100 चूज़ों के लिए कम से कम 3 पानी और 3 दाने के बर्तन होना बहुत ही आवश्यक है।
• दाने और पानी के बर्तन आप मैन्युअल या आटोमेटिक किसी भी प्रकार का इस्तेमाल कर सकते हैं। मैन्युअल बर्तन साफ़ करने में आसान होते हैं लेकिन पानी देने में थोडा कठिनाई होती है पर आटोमेटिक वाले बर्तनों में पाइप सिस्टम होता है जिससे टंकी का पानी सीधे पानी के बर्तन में भर जाता है।
बुरादा या लिटर:
• बुरादा या लिटर के लिए आप लकड़ी का पाउडर, मूंगफली का छिल्का या धान का छिल्का का उपयोग कर सकते हैं।
• चूज़े आने से पहले लिटर की 3-4 इंच मोटी परत फर्श पर बिछाना आवश्यक है। लिटर पूरा नया होना चाहिए एवं उसमें किसी भी प्रकार का संक्रमण ना हो।
ब्रूडिंग:
• चूज़ों के सही प्रकार से विकास के लिए ब्रूडिंग सबसे ज्यादा आवश्यक है। ब्रायलर फार्म का पूरा व्यापार पूरी तरीके से ब्रूडिंग के ऊपर निर्भर करता है। अगर ब्रूडिंग में गलती हुई तो आपके चूज़े 7-8 दिन में कमज़ोर हो कर मर जायेंगे या आपके सही दाना के इस्तेमाल करने पर भी उनका विकास सहीतरीके से नहीं हो पायेगा।
• जिस प्रकार मुर्गी अपने चूजों को कुछ-कुछ समय में अपने पंखों के निचे रख कर गर्मी देती है उसी प्रकार चूजों को फार्म में भी जरूरत के अनुसार तापमान देना पड़ता है।
• ब्रूडिंग कई प्रकार से किया जाता है – बिजली के बल्ब से, गैस ब्रूडर से या अंगीठी/सिगड़ी से।
बिजली के बल्ब से ब्रूडिंग:इस प्रकार के ब्रूडिंग के लिए आपको नियमित रूप से बिजली की आवश्यकता होती है। गर्मी के महीने में प्रति चूज़े को 1 वाट की आवश्यकता होती है जबकि सर्दियों के महीने में प्रति चूज़े को 2 वाट की आवश्यकता होती है। गर्मी के महीने में 4-5 दिन ब्रूडिंग किया जाता है और सर्दियों के महीने में ब्रूडिंग 12-15 दिन तक करना आवश्यक होता है। चूजों के पहले हफ्ते में ब्रूडर को लिटर से 6 इंच ऊपर रखें और दुसरे हफ्ते 10 से 12 इंच ऊपर। |
गैस ब्रूडर द्वारा ब्रूडिंग :जरूरत और क्षमता के अनुसार बाज़ार में गैस ब्रूडर उपलब्ध हैं जैसे की 1000 औ 2000 क्षमता वाले ब्रूडर। गैस ब्रूडर ब्रूडिंग का सबसे अच्छा तरिका है इससे शेड केा अन्दर का तापमान एक समान रहता है। |
अंगीठी या सिगड़ी से ब्रूडिंग:ये खासकर उन क्षेत्रों के लिए होता हैं जहाँ बिजली उपलब्ध ना हो या बिजली की बहुत ज्यादा कटौती वाले जगहों पर। लेकिन इसमें ध्यान रखना बहुत ज्यादा जरूरी होता है क्योंकि इससे शेड में धुआं भी भर सकता है या आग भी लग सकता है। |
पीने का पानी :मुर्गी 1 किलो दाना खाने पर 2-3 लीटर पानी पीता है। गर्मियों में पानी का पीना दोगुना हो जाता है। जितने सप्ताह का चूजा उसमें 2 का गुणा करने पर जो मात्र आएगी, वह मात्र पानी की प्रति 100 चूजों पर खपत होगी, जैसे –
पहला सप्ताह = 1 X 2 = 2 लीटर पानी/100 चूजा
दूसरा सप्ताह = 2 X 2 = 4 लीटर पानी /100 चूजा
मुर्गी फार्म में चूजों का प्रबंधन : मुर्गी पालन के व्यापार में चूजों की देखभाल करना सबसे जरूरी होता है। यह इसलिए जरूरी होता है क्योंकि चूजों के बेहतर विकास पर ही मुर्गी पालन का पूरा व्यापार निर्भर करता है। चूजों बहुत नाजुक होते हैं इसलिए उनकी देखभाल करना बहुत मुश्किल होता है हर चीज पर सही से ध्यान देना पड़ता है। अंडे से निकलने के बाद चीजों को सीधे मुर्गी पालन करने वाले व्यापारियों के पास ऑर्डर के अनुसार डिलीवरी दिया जाता है। मुर्गी फार्म तक चूजे पहुंचने से पहले और बाद में कुछ महत्वपूर्ण चीजों का है ध्यान देना चाहिए जिन के विषय में आज हमने भी आर्टिकल में बताया है।
मुर्गी फार्म में चूजों का प्रबंधन
मुर्गी फार्म में चूजों का प्रबंधन सबसे महत्वपूर्ण होता है –
1. चूज़े आने से 7-8 दिन पहले ही शेड को अच्छे से साफ़ करें। सबसे पहले मकड़ी के जालों को अच्छे से हटा दें उसके बाद ही नीचे की सफाई करें। उसके बाद फर्श को पानी से धोएं और उसके बाद उसमे फोर्मलिन और चूना मिलाकर लगायें।
2. हमेशा याद रखें जितनी जल्दी हो सके चूजों की डिलीवरी लें। चूजों की डिलीवरी में देरी होने पर उन्हें डिहाइड्रेशन हो सकता है जिसके कारण मृत्यु दर में वृद्धि हो सकती है या बाद में उनके विकास में कमी आ सकती है। ऐसा होने पर व्यापार में पानी का खतरा बनता है।
3. चूजों की संख्याओं की गणना की सटीकता की जांच के लिए बक्सों को ठीक से गिना जाना चाहिए।
4. इसके बाद शेड के बाहर और अंदर 3% फॉर्मलिन के साथ स्प्रे करें। अगर आपने पहले से ही फोर्मलिन को चुन के साथ मिला कर दिया है तो आपको इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी।
5. अपने फार्म में चूजों के आने से 1 से 2 दिन पहले, 3-4 इंच लिटर फैला दें।
6. चूजों के आने के 24 घंटों से पहले चूजों के लिए गोल चादर की मदद से छोटा गोल बोर्डिंग सेट बनाते हैं। प्रत्येक ब्रूडिंग सेट में 250 चूजों को विभाजित करें और कूड़े के ऊपर कागज के टुकड़े रखें और उसके ऊपर दाना को छिड़कें और छोटे ड्रिंकर में पानी पीने को दें।
7. ब्रूडर के पास पानी और फीडर कंटेनर रखें।
8. चूजों के आते ही उन्हें जल्द से जल्द गोलाकार बनाये हुए घर में स्थानान्तरण कर दें।
9. सबसे पहले 6-7 घंटों के लिए मकई पाउडर या सूजी खाने को दे।
10. कमजोर चूजों को स्वस्थ से दूर या अलग रखें।
11. चूजों की उचित वृद्धि के लिए आपको सही दवाएं और पूर्ण टीकाकरण की आवश्यकता होती है।
12. गर्मी के मौसम में गर्मी तनाव समस्या को कम करने के लिए मल्टीविटामिन, विटामिन सी और लाइसिन को चूजों को दिया जाना चाहिए।
13. हफ्ते में दो बार लिटर में 1kg/20वर्गफुट चूने का पाउडर मिक्स करें। यह लिटर में अमोनिया को कम कर देता है और सुखा रखने में मदद करता है।
14. पानी को साफ करने के लिए संवेदक, ब्लीचिंग पाउडर 6 ग्राम / 1000 लीटर और 1 ग्राम पोटेशियम परमैनेटनेट मिलाकर रखें।
15. यदि आपको अपने चूजों के साथ किसी भी प्रकार के स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं मिलती हैं तो संभवतः जितनी जल्दी हो सके अपने पशुचिकित्सा से परामर्श करें।
16. सुनिश्चित करें कि प्रत्येक गोलाकार घर में चूजों को उचित संख्या में रखा गया है। कोशिश करें कि 250-300 चुजें एक ही गोलाकार घर ब्रूडिंग के लिएे रखे।
17. चूजों को शांत और तनाव मुक्त रखने के प्लेसमेंट के दौरान मंद शेड लाइट रखें।
18. चूजों को ध्यान से रखा जाना चाहिए और ब्रूडिंग क्षेत्र में फ़ीड और पानी पास में वितरित किया जाना चाहिए ताकि वे तेजी से पानी पी सकें और खा सकें, जिससे की चूजे तेजी से पुन: हाइड्रेट हो पाए।
19. पुराना वजन निर्धारित करने के लिए बक्से का वजन करना चाहिए।
20. चूजों के बक्से को तुरंत ही चूजों को रखने के बाद हटा दिया जाना चाहिए।
21. एक बार सभी चूजों को रखने के बाद रोशनी को ब्रूडिंग क्षेत्र में पूरी तीव्रता के साथ लाया जाना चाहिए ताकि चूजों की जल्द से जल्द गर्मी मिल सके।
22. पहले कुछ दिनों के दौरान चूजों के वितरण की जांच करें. फीडर, ड्रिंकर्स, वेंटिलेशन या हीटिंग सिस्टम में किसी भी समस्याओं के लिए यह एक संकेतक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
23. चूजों को साफ पानी दें और हर दिन पानी के फीडर और ड्रिंकर को साफ करें।
24. चूजों को कम से कम 7दिन तक ब्रूडिंग में रखें और देसी मुर्गियों को 15-20 दिन तक मौसम के अनुसार।
मुर्गियों के अपशिष्ट का प्रबंधन:
मुर्गियों के अपशिष्ट को साफ करना स्वस्थ और विकसित मुर्गियों के पालन के लिए महत्वपूर्ण है। हमें उनके अपशिष्ट को प्रतिदिन फावड़े से निकाल देना चाहिए, क्योंकि उसकी बदबू से मक्खियां और कीड़े आ सकते हैं। दरबे के अंदर बदबू कम करने के लिए रेत भी एक अच्छा समाधान है। किसानों को उन तरीकों का पता लगाना होगा जिनका प्रयोग करके वे मुर्गियों के अपशिष्ट का लाभ उठा सकते हैं। जैसे, उन्हें फसलों में खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है (इसे विघटित होने के लिए कुछ महीने तक छोड़ने के बाद)। विघटित होने के बाद, मुर्गियों का अपशिष्ट सब्जियों, औषधियों, पेड़ों और अन्य फसलों के लिए बहुत अच्छे खाद का काम करता है। मिट्टी को कई प्रकार से बेहतर बनाने के साथ-साथ यह नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम भी प्रदान करता है। इस बात का ध्यान रखें कि आप मुर्गियों के अपशिष्ट के साथ-साथ दरबे के बिस्तर (रेत, फूस, लकड़ी के छिलके) भी इकट्ठा कर सकते हैं और उन सभी को एक कम्पोस्टिंग बिन के ऊपर रख सकते हैं।
विपणन:देशी मुर्गी से प्राप्त अंडे का बहुत ज्यादा मांग है । ईसको जैविक अंडा के रूप मे एसतमाल किया जराहा है । ईसका कीमत आमतौर पर साधारण अंडे के मुक़ाबले 3 से 4 गुना यानि की 10 से 15 रुपया होता है । ईसके मार्केटिंग मे कोई परेसानी नहीं आती है।
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